3/09/2011 06:53:00 am
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मिलनसार बनिए, ज्यादा समय तक जीवित रहेंगे आप |
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Story Update : शानू जैसवाल |
क्या आपको पता है कि अंर्तमुखी व्यक्ति की अपेक्षा मिलनसार व्यक्ति ज्यादा समय तक जीवित रहता है? यह बात आपको सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन एक अध्ययन में यह साफ हुआ है। दोस्त और परिवार हर व्यक्ति की जिंदगी को आसान बना देते हैं। लेकिन आपको क्या मालूम है कि उनकी बदौलत आप तन्हा जीने वालों की तुलना में तीन साल तक ज्यादा जी सकते हैं।
3.7 साल ज्यादा जीते है मिलनसार लोग
ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय और नॉर्थ कैरोलिना के एक सर्वे में पाया गया कि दोस्तों, परिवार और समुदाय के साथ जिंदगी बिताने वालों की तुलना में अकेले जीने वालों को मौत की आशंका 50 फीसदी तक अधिक होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक रूप से मिलनसार लोग औसतन 3.7 साल ज्यादा जीते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि दोस्त होने की तुलना सिगरेट छोड़ने के फायदे तक से की जा सकती है।
दोस्त जीवन को आसान बनाते हैं
अध्ययन में बताया गया कि सामाजिक तौर से अलग-थलग जीने वाले लोगों में शराबियों की तरह मरने की आशंका ज्यादा होती है। यह आशंका मोटापे के शिकार लोगों और शारीरिक तौर पर निष्क्रिय लोगों से ज्यादा होती है। अध्ययन को अंजाम देने वाले मनोविज्ञान के प्रोफेसर बेर्ट उचीनो ने बताया कि दोस्त और शुभचिंतक जीवन को आसान बनाते हैं। उन्होंने कहा कि वे भले ही आपको अप्रत्यक्ष तौर पर सहायता करें लेकिन वे आपमें यह अहसास जगाते हैं कि आपको जीना है।
आवाज से पता चलेगा, कितना बेवफा है आपका जीवन साथी |
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क्या किसी की आवाज से उसकी वफादारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। एवोलूशनेरी साइक्लॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शोध में इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। शोध के अनुसार महिलाएं मानती हैं कि अगर उनका जीवन साथी धीमी आवाज में बात करता है तो वह धोखेबाज हो सकता है। इसके विपरीत पुरुष सोचते हैं कि अधिक ऊंची आवाज में बात करने वाली महिलाएं विश्वासपात्र नहीं होती। किसी इंसान की आवाज और उसकी विश्वसनीयता के बीच संबंध बताने वाली यह पहली रिसर्च है।
जीवन पर पड़ता है बेवफाई का नकारात्मक प्रभाव
शोध में शामिल मैकमास्टर यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट स्टूडेंट जिलियन ओकॉनर ने बताया कि पुरुष और महिलाएं अपना जीवन साथी चुनते समय आवाज के स्तर की भविष्य की विश्वसनीयता के रूप में जांच करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि ऊंची आवाज में बात करने वाली महिलाएं और धीमी आवाज में बात करने वाले पुरुष एक-दूसरे को अपने प्रति विश्वसनीय नहीं मानते। अगर पति-पत्नि एक दूसरे के प्रति वफादार नहीं हैं तो इससे भावनात्मक, आर्थिक और पारिवारिक रूप से नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। लेकिन इस नई रिसर्च से सफल जीवन के लिए एक विश्वासपात्र जीवन साथी चुनने में काफी मदद मिलेगी।
तेज बोलने वाली महिलाएं बेवफा
रिसर्च में शामिल किए गए प्रतिभागियों को पुरुष और महिला की आवाज के रिकॉर्ड किए गए दो अलग-अलग क्लिप दिखाए गए। इन दोनों आवाजों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से धीमी और तेज आवाज में परिवर्तित किया गया था। प्रतिभागियों को धीमी और तेज आवाज दोनों क्लिप दिखाए गए। क्लिप दिखाने के बाद प्रतिभागियों से पूछा गया कि प्रत्येक जोड़े में से कौन-सा एक इंसान उन्हें जीवन साथी के रूप में धोखा दे सकता है। प्रतिभागियों में पुरुषों ने ऊंची आवाज में बात करने वाली महिला और महिलाओं ने धीमी आवाज में बात करने वाले पुरुष को गैर-वफादार बताया।
हार्मोंस जुड़ा है बेवफाई और आवाज के स्तर से
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड फेनबर्ग ने बताया कि आवाज के स्तर, हार्मोंस और अविश्वसनीयता में एक विशेष संबंध है। जिन पुरुषों में टेस्टास्टरोन का स्तर अधिक होता है, उनमें आवाज का स्तर कम होता है। इसी तरह जिन महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर अधिक होता है, उनमें आवाज का स्तर अधिक होता है। इन हार्मोंस का उच्च स्तर धोखेबाजी के व्यवहार से जुड़ा हुआ है। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने विश्वास जताया कि इस रिसर्च से किसी इंसान को जीवन साथी चुनने में काफी मदद मिलेगी।
सावधान! वजन बढ़ने से पागलपन का बढ़ता है खतरा |
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यदि आपका वजन बढ़ रहा है, तो इसे हल्के में न लें, क्योंकि इसके कारण आप पागलपन के शिकार हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि वजन बढ़ने के साथ-साथ पागलपन का भी खतरा बढ़ जाता है। ऑस्ट्रेलिया आधारित शोध के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर कारीन एंस्टे ने बताया कि वर्तमान समय में पागलपन और मोटापा ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के लिए दो बड़ी शारीरिक समस्याएं हैं।
अल्जाइमर रोग का भी खतरा
प्रमुख शोधकर्ता कारीन एंस्टे ने बताया कि 40 से 60 वर्ष के बीच की अवस्था में कम वजन, अधिक वजन और मोटापा वृद्घावस्था (60 वर्ष से ऊपर) में पागलपन के खतरे को जन्म देता है। एंस्टे ने बताया कि शोध के दौरान उन्होंने 25,000 से अधिक लोगों में देखा कि उनके शरीर का असमान वजन पागलपन का जनक है। उन्होंने बताया कि शोध में पता चला कि पागलपन का सर्वाधिक खतरा अधिक बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों को होता है। इतना ही नहीं, शोध में पता चला कि मध्य जीवन में अधिक वजन के कारण अल्जाइमर रोग का खतरा भी अधिक रहता है।
मोटे लोगों के लिए खतरा और अधिक
एंस्टे ने बताया कि यह खतरा उन लोगों के लिए और बढ़ जाता है, जो धीरे-धीरे मोटापा के शिकार हो जाते हैं। एंस्टे ने बताया कि मोटापा एक गंभीर बीमारी है। इसका कम समय के लिए प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि शरीर पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। मोटापा के कारण बुढ़ापा भी जल्दी आ जाता है। उन्होंने बताया कि इस शोध में इस बात के स्पष्ट साक्ष्य मिले कि जीवन की मध्य अवस्था में मोटापा या अधिक वजन बाद की उम्र में पागलपन को जन्म देता हे। |
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faine very very nice
जवाब देंहटाएंvery very nice
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी
जवाब देंहटाएंvery goob post
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